काश ! हर इंसा अपना जीवन बचपन सा जिए, वक्त की चिंता छोड़,छोटे छोटे लम्हों को जिए। काश ! हर इंसा अपना जीवन बचपन सा जिए, वक्त की चिंता छोड़,छोटे छोटे लम्हों को ज...
बना कर शब्दों का इन्द्रधनुष, आसमां पर छा सकती हूँ। बना कर शब्दों का इन्द्रधनुष, आसमां पर छा सकती हूँ।
आकाश के पार कहीं दूर जाना चाहता हूं। आकाश के पार कहीं दूर जाना चाहता हूं।
हर दिल में दीप जलाना भी जरूरी है। हर मन में आस जगाना भी जरूरी है। हर दिल में दीप जलाना भी जरूरी है। हर मन में आस जगाना भी जरूरी है।
घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे ! घृणित नाटकीय मंच के पर्दों को हम उठाकर ही रहेंगे !